Monday, April 4, 2011

धुन के पक्के इन्सां ही एक दिन चैंपियन बनते हैं

धुन के पक्के इन्सां ही एक दिन चैंपियन बनते हैं

जीत और हार के बीच झूलते, डूबते-उतराते विपरीत क्षण में भी अविचल, अविरल भाव से  लक्ष्य प्राप्ति हेतु आशावान बने रहना बहुत मुश्किल  पर नामुमकिन नहीं होता है इसका अहसास  सफलता की सीढ़ी-दर- सीढ़ी चढ़ने के उपरान्त  चिर प्रतीक्षा चिर संघर्ष के बाद  मिलने वाली हर  ख़ुशी  बेजोड़ व अनमोल होती है  इसकी सुखद अनुभूति  वही महसूस कर पाते हैं


जो हर हाल में निरंतर  सबको साथ लेकर लक्ष्य प्राप्ति हेतु हरक्षण संघर्षरत रहते हैं और मुकाम हासिल कर ही  दम लेते हैं सगर्व, सम्मान   जिसके वे हक़दार होते हैं  अनुकूल मौसम में तो हर कोई नाव चला सकते  हैं पर तूफां में कश्ती पार लगाने वाले विरले ही होते हैं कठिन राह को जो आसाँ बना मंजिल तक पहुँचते हैं वही धुन के पक्के इन्सां एक दिन चैंपियन बनते हैं                                  

...कविता रावत

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